‘महाकुम्भ’ नहीं जा पाए ? तो आपके लिए अच्छी ख़बर, गढ़मुक्तेश्वर मेले में होगी ‘कुम्भ’ जैसी व्यवस्था

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27/10/25 :- यह ख़बर उन लोगों के लिए बड़ी महत्वपूर्ण हैं जो श्रद्धालु इस बार के ‘महाकुम्भ’ चाह कर भी नहीं जा सके.अब श्रद्धालु गढ़मुक्तेश्वर मेले में पहुँच कर अपनी ईक्षा पूरी कर सकते हैं। क्योंकि मुख्यमंत्री योगी ने इस मेले को भव्य व दिव्य बनाने का मन बना लिया है, जिसमे आपको ‘मिनी कुम्भ’ जैसी अनुभूति होगी।

जिसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गढ़मुक्तेश्वर मेले की तैयारियों का जायजा लिया है. उन्होंने कहा कि “गढ़मुक्तेश्वर मेला श्रद्धा, अनुशासन और स्वच्छता का प्रतीक है, इसे इस बार मिनी कुम्भ के रूप में आयोजित किया जाएगा”. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सुरक्षा और सुविधा के पुख्ता इंतजाम होने चाहिए. गढ़ मुक्तेश्वर मेला इस बार 30 अक्टूबर से 5 नवंबर चलेगा।

जानकारी के मुताबिक गढ़मुक्तेश्वर मेले में इस बार 40 से 45 लाख श्रद्धालु शामिल होने की संभावना है. श्रद्धालुओं की अनुमानित संख्या को देखते हुए सीएम ने समयबद्ध तैयारियों के निर्देश दिए हैं. संबंधित अथिकारियों को एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की तैनाती, सीसीटीवी निगरानी और रेस्क्यू बोट की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा है।

CM योगी ने लिया जायजा

मुख्यमंत्री योगी के निर्देश के मुताबिक मेले में सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा, गंगा तटों पर सफाई होगी और कचरा संग्रह की व्यवस्था की जाएगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि रासलीला/कृष्णलीला और लोकगायन से गढ़मुक्तेश्वर इस बार गूंज उठेगा।

गढ़मुक्तेश्वर मेला आस्था और संस्कृति का संगम है. गढ़मुक्तेश्वर की धार्मिक परंपरा फिर से जीवंत होगी, लाखों श्रद्धालु जुटेंगे. लोककलाओं की छटा देखने को मिलेगी. निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंगा पूजन किया और सदर बाजार क्षेत्र का भ्रमण किया।

धार्मिक आस्था का केंद्र है गढ़मुक्तेश्वर

गढ़मुक्तेश्वर मंदिर को एक बहुत ही पवित्र मंदिर माना जाता है. यहां पर हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. इस मंदिर में मांगी गई मन्नतें पूरी होती हैं इसलिए यहां पर लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में स्थित गढ़मुक्तेश्वर मंदिर एक प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर है. यह मंदिर गंगा नदी के किनारे स्थित है और इसका इतिहास हजारों साल पुराना है. इस मंदिर में कई ऐसे रहस्य हैं जिनका जवाब आज तक वैज्ञानिक भी नहीं दे पाए हैं.

इस मंदिर में मां गंगा की भव्य मूर्ति है, चार मुखों वाले भगवान ब्रह्मा की सफेद पत्थर की मूर्ति, और शिवलिंग नर्मदेश्वर महादेव विराजमान हैं

गढ़मुक्तेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर हर साल एक अंकुर उभरता है. यह अंकुर अपने आप ही फूटता है और इसमें से भगवान शिव और अन्य देवी-देवताओं की आकृतियां निकलती हैं. इस रहस्य को जानने के लिए कई वैज्ञानिकों ने रिसर्च की है लेकिन आज तक उन्हें कोई सफलता नहीं मिली है.

कार्तिक पूर्णिमा का गढ़मुक्तेश्वर मेला हिंदुओं के लिए धार्मिक आस्था का केंद्र है. साथ ही इस दौरान सांस्कृतिक परंपरा और लोकजीवन की छटा भी देखने को मिलती है. इस साल लाखों की संख्या में दीप गंगा तट पर जगमग रोशनी बिखेरेंगे. रासलीला, कृष्णलीला और लोकगायन की मनोहारी छटा देखने को भी मिलेगी।

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