प्लास्टिक के कारण हो रही हैं 100 में से 13 मौतें,अगर आप भी कर रहे हैं ये गलती तो हो जाएँ सावधान

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03/7/25 Health:- प्लास्टिक हमारे रोजमर्रा के जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है, हम जानते हैं कि ये हमारे लिए नुकसानदायक है, लेकिन बावजूद इसके हम इसका भरपूर इस्तेमाल करते हैं. इसका इस्तेमाल इतना ज्यादा बढ़ चुका है कि ये हमारे प्राइवेट पार्ट तक पहुंच चुका है. जी, हां इससे जुड़ी एक चौंकाने वाली रिपोर्ट का खुलासा हुआ है. जिसमें ये कहा गया है कि हमारे दिल की बीमारियों से होने वाली मौत के लिए प्लास्टिक ही जिम्मेदार है. 100 में 13 मौतें इस केस में प्लास्टिक के कारण ही होती है.

ये प्लास्टिक हमारे फेफड़ों, लीवर, किडनी, खून, दिमाग और यहां तक कि प्राइवेट पार्ट में पहुंच रहे हैं. शोध को लेकर एक बात कही गई है कि प्लास्टिक इंसानों के प्रजनन तंत्र तक भी पहुंच चुके हैं, जिसकी वजह से आने वाले समय में बच्चों को पैदा करने में काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. रिपोर्ट की माने तो वैज्ञानिकों ने पुरुषों के सीमेन और महिलाओं के ओवरी फ्लूइड में माइक्रोप्लास्टिक कण पाएं जो इंसानों की सभ्यता के लिए काफी ज्यादा खतरनाक है.

कैसे शरीर में पहुंच रहा प्लास्टिक?

इसको लेकर वैज्ञानिकों ने कारण बताया कि लोग बाद स्टायरोफोम जैसे पॉलीस्टायरीन और नायलॉन जिम्मेदार है. माइक्रोप्लास्टिक्स के स्वास्थ्य पर प्रभाव को लेकर वैज्ञानिकों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इसका असर अभी इंसानों पर तो देखने को नहीं मिला रहा है, लेकिन उन जानवरों पर असर दिख रहा है, जिनका DNA ज्यादातर इंसानों से मिलता है और उम्मीद है कि बहुत जल्द इंसानों के ऊपर भी बराबर इनका असर देखने को मिलेगा. हर साल लगभग 10 से 40 मिलियन मीट्रिक टन माइक्रोप्लास्टिक पर्यावरण में छोड़े जाते हैं. जिसमें से इंसान 250gram प्लास्टिक हर साल निगल रहा है.

माइक्रोप्लास्टिक्स गर्भाशय, प्लेसेंटा और यहां तक कि मानव अंडकोष में भी बड़ी मात्रा में पाए जा चुके हैं. ये प्लास्टिक हमारे शरीर में हवा में सांस लेने से और खाने के जरिए पहुंचता है. इससे बचने के बड़े ही साधारण उपाय है अगर हम इसका इस्तेमाल करे तो बच सकते हैं. इसके लिए हम लोगों को प्लास्टिक की जगह कांच की बोतल में पानी पीना पड़ेगा. इसके साथ ही माइक्रोवेव में प्लास्टिक कंटेनरों में खाना गर्म नहीं करना चाहिए.

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