7 लोगों का हत्यारा नरेंद्र यादव उर्फ “एन जॉन केम” बार-बार बदल रहा अपना बयान

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10/3/25 दमोह:- मिशन अस्पताल में ऑपरेशन कर 7 लोगों की जान लेने वाला नरेंद्र यादव उर्फ एन जॉन केम 5 दिन की पुलिस रिमांड पर है. आरोपी नरेंद्र बार-बार अपना बयान बदल रहा है. जब पुलिस ने सख्ती बरती तो सच उगला. इस बीच नरेंद्र ने कबूला कि उसका असली नाम नरेंद्र यादव ही है. रुतबा बढ़ाने के लिए ही उसने विदेशी नाम रखा था. उसने कबूल किया है कि उसके पास कार्डियोलॉजिस्ट व एमडी डिग्री फर्जी है.एमबीबीएस की डिग्री असली है.

इसके अलावा नरेंद्र के पास से 20 डिग्रियां मिली है. इनमें से कितनी असली है और कितनी नकली, पुलिस इसकी जांच कर रही है.नरेंद्र के मोबाइल एप में 8 एप ऐसे मिले, जिनसे जाली डिग्रियां बनाई जा सकती है

एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी के मुताबिक, आरोपी के पास मिली 2013 की पांडिचेरी मेडिकल कॉलेज (पुडुचेरी) से कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्री और कोलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज से 1999 की एमडी की डिग्री फर्जी है. नरेंद्र यादव के नाम से नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस की डिग्री असली है अब सवाल यह है कि यह आरोपी नरेंद्र यादव है या नरेंद्र जॉन केम. इसकी पुष्टि करने के लिए दोनों जगह टीमें भेजी हैं

आरोपी यूके में एमडी एमआरसीपी का कोर्स करने गया था. वहां पर एक दो साल वाले कुछ और कोर्स किए.आरोपी का भाई और पिता है. पत्नी और बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं निकली और न ही आरोपी ने बताई. आरोपी 2011 में जर्मनी में एमडी-एमआरसीपी कोर्स करने के लिए गया था. यह पूछताछ में निकला है.पासपोर्ट कार्यालय से इसकी रिपोर्ट नहीं आई है

चिकन खाने के शौक से पकड़ाया था नरेंद्र

नरेंद्र चिकन खाने के शौक से पकड़ाया. लोकेशन के आधार पर आरोपी को खोजने के लिए दमोह पुलिस प्रयागराज तो पहुंच गई, लेकिन आरोपी ने अपना मोबाइल बंद कर लिया. ऐसे में पुलिस एक बार फिर असमंजस में पड़ गई कि आरोपी तक कैसे पहुंचेंगे.

पुलिस ने डॉक्टर के मोबाइल की कॉल डिटेल निकाली और एक-एक नंबर से संपर्क किया तो उसमें एक नंबर चिकन शॉप का भी निकला. जब पुलिस ने शॉप खोजकर संपर्क किया तो दुकानदार के मोबाइल में आरोपी के घर की लोकेशन मिल गई. बस इसी आधार पर पुलिस आरोपी के घर तक पहुंच गई और गिरफ्तार करके दमोह लाई

मरीजों से विवाद हुए तो बाउंसर रखने लगा था

आरोपी नरेंद्र जॉन केम के व्यवहार से अस्पताल का स्टाफ भी परेशान था. वह अपने चेंबर में और कैथ लैब में काम करके बाहर निकल जाता था. पुरुष कर्मचारी को स्टाफ में नहीं रखता था. केवल महिला कर्मचारियों को ही रखता था. नर्स स्टाफ लीजो जॉय बहादुर ने बताया कि जब बार-बार मरीजों से विवाद होने लगे तो उसने स्वयं का बाउंसर रख लिया था

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