कौन है ये आतंकी संगठन “द रेजिस्टेंस फ्रंट” (टीआरएफ) जिसने कश्मीर में पर्यटकों के ऊपर इस घटना को दिया अंजाम

45

23/3/25 J&K:- जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाए जाने के बाद टीआरएफ एक ऑनलाइन यूनिट के रूप में शुरू हुआ था. माना जाता है कि टीआरएफ को बनाने का मकसद लश्कर जैसे आतंकी संगठनों को कवर देना है. बैकडोर से पाक सेना और आईएसआई इसकी मदद करती है. टीआरएफ ज़्यादातर लश्कर के फंडिंग चैनलों का इस्तेमाल करता है. गृह मंत्रालय ने मार्च में राज्यसभा को बताया था, “द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक मुखौटा संगठन है.

टीआरएफ साल 2019 में अस्तित्व में आया था. इस संगठन को बनाने की साजिश सरहद पार से रची गई थी. 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में बड़ा आतंकी हमला हुआ था. इसके बाद दुनियाभर में पाकिस्तान बेनकाब हो गया. इस हमले को जैश-ए-मोहम्मद ने अंजाम दिया था. जब दुनियाभर से पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा तो वो समझ गया कि आतंकी संगठनों के खिलाफ कुछ न कुछ करके दिखाना होगा. इसके बाद उसने इस तरह के संगठन बनाने की साजिश रची थी.

इससे भारत में आतंक भी फैल जाए और उसका नाम भी न आए. तब जाकर आईएसआई और पाकिस्तानी सेना ने लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर द रेजिस्टेंस फोर्स (टीआरएफ) बनाया था. साल 2022 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा 90 से ज़्यादा ऑपरेशनों में 42 विदेशी नागरिकों सहित 172 आतंकवादी मारे गए. घाटी में मारे गए आतंकवादियों में से ज़्यादातर (108) द रेजिस्टेंस फ्रंट या लश्कर-ए-तैयबा के थे.

इसके साथ ही आतंकवादी समूहों में शामिल होने वाले 100 लोगों में से 74 टीआरएफ द्वारा भर्ती किए गए थे, जो पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह से बढ़ते ख़तरे को दर्शाता है. टीआरएफ का नाम पहली बार साल 2020 में कुलगाम में हुए हत्याकांड के बाद सामने आया. उस समय बीजेपी कार्यकर्ता फिदा हुसैन, उमर राशिद बेग और उमर हाजम की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. बताया जा रहा है टीआरएफ कश्मीर में फिर से वही दौर लाना चाहता है, जो 90 के दशक में था.

Leave A Reply

Your email address will not be published.