क्या है सेक्युलरिज्म और क्या अल्पसंख्यक के अधिकारों का विशेष फायदा सिर्फ एक विशेष धर्म समुदाय के पास?

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08/7/25:- राज्यसभा सांसद व भाजपा के प्रखर प्रकांड विद्वान प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी जी ने भारत के सेक्युलरिज्म तथा अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों को लेकर दोहरे मापदंड के प्रति अपना रोष व्यक्त किया ।

उन्होंने एक मीडिया चैनल पर अपनी बात रखते हुए कहा कि :– “भारत एकमात्र ऐसा सेक्युलर देश है जहां अल्पसंख्यक आयोग भी है और अल्पसंख्यक मंत्रालय भी।”
“वक्फ बोर्ड जैसा अधिकार अल्पसंख्यकों में सिर्फ मुसलमानों के पास है। ऐसा अधिकार न ईसाइयों के पास है, न सिखों के पास है और न जैनों के पास है।”

“यानी अगर मैंने कह दिया कि यह जमीन हमारी थी, तो इसे साबित करने की जिम्मेदारी मेरी नहीं है। यह अधिकार किसी और अल्पसंख्यक के पास नहीं है, हिंदुओं को तो छोड़ ही दीजिए।”

“दूसरा अधिकार है ‘प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991’ जिसमें अगर आपके धार्मिक स्थल को मुगल काल में तोड़कर दूसरे धर्म के लोगों ने बना लिया था, तो आप कोर्ट भी नहीं जा सकते।”
“तीसरा है कि आप 9 साल की बच्ची से शादी कर सकते हैं, 4 बीवियां रख सकते हैं। ये अधिकार न सिखों के पास हैं, न ईसाइयों के पास, न जैनों के पास।”

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा -“अधिकारों की फेहरिस्त काफी लंबी है, ये तो सिर्फ तीन उदाहरण हैं।”
“इनके पास कुछ ऐसे अधिकार हैं जो कट्टर मुस्लिम देशों में भी नहीं हैं। इसलिए यहां दो प्रकार के मुसलमान हैं। एक मुसलमान वो जो शराफत अली है और दूसरा वो जो शरारत खान है।”
“एक मुसलमान वो जिसके दिल में भारत माता की जय है और एक मुसलमान वो है जो फिलिस्तीन की जय बोलता है।”
“एक मुसलमान वो है जो 15 अगस्त और 26 जनवरी को तिरंगा यात्रा निकालता है, तो एक मुसलमान वो है जो हमास और हिजबुल्लाह के लिए श्रीनगर से लेकर लखनऊ-हैदराबाद तक यात्राएं निकालता है।”

“बाकी तो जैसे किसी श्रेणी में आते ही नहीं”

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