तो क्या इस साल प्रधानमंत्री मोदी रेटायर्मेंट ले लेंगे? क्या हैं RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयान के मायने?

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10/7/25 RSS:- सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि 75 साल की उम्र पूरी होने के बाद लोगों को दूसरों को भी काम करने का मौका देना चाहिए. नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख ने कहा कि 75 साल पूरा होने पर किसी भी नेता को जब शॉल ओढ़ाई जाती है तो इसका एक मतलब है. ये मतलब यह है कि उनकी उम्र हो चुकी है. आप को बाकियों को मौका देना चाहिए.

आरएसएस प्रमुख 9 जुलाई को राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रेरक दिवंगत मोरोपंत पिंगले पर लिखी पुस्तक के विमोचन के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे. इस पुस्तक का नाम मोरोपंत पिंगले: द आर्किटेक्ट ऑफ हिंदू रिसर्जेंस है. इसका विमोचन करने के बाद भागवत ने वरिष्ठ आरएसएस नेता की विनम्रता, दूरदर्शिता और जटिल विचारों को सरल भाषा में समझाने की अद्वितीय क्षमता को याद किया.

भागवत ने कहा, “मोरोपंत पूर्ण निस्वार्थता की प्रतिमूर्ति थे. उन्होंने अनेक कार्य किए और यह सोचकर किए कि यह कार्य राष्ट्र निर्माण में सहायक होगा.” पुस्तक विमोचन के दौरान मोहन भागवत ने कहा कि मोरोपंत पिंगले जी ने बहुत काम किया. उनकी उम्र हो गई थी, शरीर भी थोड़ा दुर्बल हुआ था. हमने उनसे कहा– अब सब काम दूसरों को सौंप दो.

संघ प्रमुख ने कहा कि “पिंगले आखिरी दिनों में नागपुर आकर यहीं रहने लगे. उनका चिंतन हमेशा चलता रहता था, हर विषय की उन्हें गहराई से जानकारी थी. हम भी अक्सर सलाह लेने उनके पास जाते थे. जो भी काम करने लायक दिखता, उसे वे काम में लगा देते. मोहन भागवत ने मोरोपंत पिंगले के साथ एक प्रसंग को याद करते हुए कहा, “एक बार हमने उनसे कहा– अब बस, आराम करो. तब भी उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि मैंने बहुत काम किया है. अगर कोई उनके काम की तारीफ करता तो वे मजाक में हंसते-हंसते टाल देते.”

“एक बार की बात है जब उनकी उम्र के 75 साल पूरे हुए, हम सब वृंदावन में बैठक में थे. देशभर के कार्यकर्ता मौजूद थे. एक सत्र में शेषाद्री जी ने कहा, “आज हमारे मोरोपंत जी के 75 वर्ष पूरे हुए हैं. और उन्हें शॉल पहनाई गई.” उसके बाद उनसे कहा गया कि कुछ बोलिए. तो उन्होंने कहा था कि “मेरी मुश्किल ये है कि मैं खड़ा होता हूं तो लोग हंसते हैं. मैं कुछ नहीं बोलता तो भी लोग मेरे बोलने पर हंसते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग मुझे गंभीरता से नहीं लेते. मैं जब मर जाऊंगा, तब पहले लोग पत्थर मार के देखेंगे कि सच में मरा हूं या नहीं।”

फिर मोरोपंत पिंगले जी ने कहा कि, “75 वर्ष की उम्र में शॉल पहनने का अर्थ मैं जानता हूं. इसका मतलब है कि अब आपकी उम्र हो गई है, आप साइड में हो जाओ. अब और बाकी लोगों को काम करने दो.” मोहन भागवत के इस बयान पर कांग्रेस ने चुटकी ली है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि, ‘पीएम मोदी को लौटते ही सरसंघचालक के द्वारा याद दिला दिया गया कि 17 सितंबर 2025 को वे 75 साल के हो जाएंगे. लेकिन प्रधानमंत्री सरसंघचालक से भी कह सकते हैं कि वे भी तो 11 सितंबर 2025 को 75 के हो जाएंगे। यानि ‘एक तीर, दो निशाने’

शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने भी इस पर टिप्पणी की. संजय राउत ने कहा, “पीएम मोदी ने आडवाणी, मुरली मनोहर, जसवंत सिंह जैसे बड़े नेताओं को जबरन रिटायरमेंट दिला दिया था. अब देखते हैं क्या मोदी इसका खुद पालन करेंगे या नहीं.” गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी की जन्मतिथि 17 सितंबर 1950 है. वे इस वर्ष 75 वर्ष के हो जाएंगे.

आडवाणी और मुरली मनोहर को नहीं मिला था टिकट

बता दें कि बीजेपी ने एक अघोषित परंपरा विकसित की है। परंपरा यह है कि 75 वर्ष के हो जाने पर इसके नेता रिटायरमेंट ले लेते हैं। 75 उम्र बैरियर के कारण ही लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर, जसवंत सिंह, सुमित्रा महाजन, कलराज मिश्र जैसे बड़े नेताओं को 75 वर्ष पूरे होने के बाद पार्टी ने टिकट नहीं दिया था। ना ही उनका कार्यकाल बढ़ाया गया। इसके कारण उन्हें रिटायर लेना पड़ा था। इसी तरह 2024 लोकसभा चुनाव में राजेंद्र अग्रवाल, संतोष गंगवार, सत्यदेव पचौरी, रीता बहुगुणा जोशी का टिकट 75 साल से ज्यादा उम्र की वजह से काट दिया गया। वहीं छत्तीसगढ़ भाजपा ने मंडल अध्यक्ष पद के लिए 35 से 45 साल और जिला अध्यक्ष पद के लिए 45 से 60 साल की उम्र सीमा निर्धारित की है।

हम तो फकीर आदमी हैं झोला लेके चल पड़ेंगे

बता दें कि मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के करीब एक महीने बाद देश में विरोधी खेमे ने पीएम मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। नोटबंदी की वजह से गरीबों को होने वाली मुश्किलों का रोना रोया जा रहा था। इसी दौरान 3 दिसंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी के मुरादाबाद में ‘परिवर्तन रैली’ को संबोधित करने पहुंचे। प्रदेश 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों के लिए तैयार हो रहा था। पीएम मोदी ने नोटबंदी को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अभियान बताते हुए अपने विरोधियों पर यह कहकर निशाना साधा कि “हम तो फकीर आदमी हैं झोला लेके चल पड़ेंगे जी”। दरअसल, वह कह रहे थे कि वह तो राष्ट्र सेवा कर रहे हैं और इसके लिए वह हर अंजाम भुगतने के लिए तैयार हैं, लेकिन भ्रष्टाचारियों को छोड़ने वाले नहीं हैं।

भाजपा ने 75 साल की उम्र पर कई नेता रिटायर किए

2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा में 75 साल की उम्र से ज्यादा के नेताओं को रिटायर करने का ट्रेंड शुरू। पहली बार प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट में इससे कम उम्र के नेताओं को ही जगह दी थी। लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को मार्गदर्शक मंडल में शामिल किया गया। 2016 में जब गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने इस्तीफा दिया तो उस समय उनकी उम्र भी 75 साल थी। उसी साल नजमा हेपतुल्लाह ने भी मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दिया, जिनकी उम्र 76 साल थी।

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