आगरा की स्वाभिमान रैली में दिखी तलवारों की धमक, साफा बांधे भीड़ के हुजूम में गुम हुआ मोहब्बत का शहर…..
जिन नेताओं को जनता अपने क्षेत्र के विकास के लिए चुनकर लोकसभा या विधानसभा भेजती है, उनकी नैसर्गिक जिम्मेदारी और दायित्व उस क्षेत्र के विकास का होना चाहिए।
लेकिन पद ,पैसा और पावर यह बहुत ही संयमित धीर और गंभीर व्यक्ति ही धारण कर सकते हैं, अन्यथा इन सब के आ जाने से पहले से ही संकुचित बुद्धि के व्यक्ति और भ्रमित हो जाते हैं।
हाल ही में संसद में आगरा के सांसद रामजीलाल सुमन जो खुद के “सर नेम” में सुमन लिखते हैं और राणा सांगा के इतिहास को विवादस्पद बयान देकर संसद में विवाद पैदा करते हैं,
उनके द्वारा दिए गए राणा सांगा पर बयान से पूरे देश के क्षत्रियों में एक उबाल आ गया था।
राणा सांगा की जयंती पर आगरा में करनी सेना ने एक ऐतिहासिक स्वाभिमान रैली का आयोजन किया।
जिसमें लाखों की संख्या में पहुंचे लोगों ने राणा सांगा के अपमान का प्रतिकार करते हुए सांसद रामजीलाल सुमन से माफी मांगने की मांग की।
लोकतंत्र में इस तरह के प्रदर्शनों को नाजायज कहा भी नहीं जा सकता, लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी को रोका भी नहीं जा सकता।
इतनी बड़ी रैली के बाद भी एक अप्रिय घटना का ना होना, तथा रैली में आए लोगों के अनुशासन, राष्ट्र के प्रति खुद की जिम्मेदारियां को समझने का जज्बा नजर आया।
इस रैली में जहां क्षत्रियों की हुंकार दिखाई दी, तलवारों की चमक दिखाई दी. वहीं स्वाभिमान का प्रतीक साफा पगड़ी पहनी भीड़ के हुजूम में गुम नजर आया मोहब्बत का शहर आगरा।
रैली में उत्साही युवाओं की भीड़ थी तो अनुभवी लोगों का हुजूम था। कुल मिलाकर संयमित शांतिपूर्ण स्वाभिमान के लिए शानदार और ऐतिहासिक प्रदर्शन था।