एएचटी थानों में 24 घंटों के भीतर ट्रांसफर होगी मानव तस्करी से संबंधित एफआईआर- DGP UP

10/10/25 लखनऊ:- डीजीपी ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग व गुमशुदा बच्चों की बरामदगी को लेकर दिए निर्देश।

डीजीपी राजीव कृष्ण ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग (एएचटी) थानों के सुदृढीकरण तथा मानव तस्करी व गुमशुदा बच्चों की बरामदगी के प्रकरणों में बारे में दिशा-निर्देश जारी किए।

उन्होंने मातहतों से कहा कि मानव तस्करी से संबंधित मामलों में तत्काल मुकदमा दर्ज कर उसे 24 घंटे के भीतर एएचटी थानों में स्थानांतरित किया जाए। ऐसे प्रकरणों में लापरवाही न बरती जाए। तत्काल सर्च एवं रेस्क्यू आपरेशन शुरू हो। इसमें लापरवाही करने वाले स्थानीय थाने व जिला मानव तस्करी रोधी (एएचटी) थाने के कर्मी समान रूप से जिम्मेदार होंगे।
डीजीपी ने कहा कि मानव तस्करी एक विश्वव्यापी संगठित अपराध है यौन शोषण, वेश्यावृत्ति, जबरन मजदूरी, जबरन शादी, घरेलू दासता, अवैधानिक रूप से गोद लेना, भीख मंगवाना, अंग प्रत्यारोपण, नशीली दवाओं का व्यापार आदि मानव तस्करी के विभिन्न रूप हैं, जो महिलाओं एवं बच्चों के बुनियादी मानवाधिकारों का हनन है।

हर जिले में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट गठित की गई है, जिसे वर्तमान में थाने में परिवर्तित किया जा चुका है। गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार एएचटी थाने में कम से कम एक निरीक्षक, 2 उपनिरीक्षक, 2 मुख्य आरक्षी तथा 2 आरक्षी की तैनाती जरूरी है। अक्सर एएचटी थाने में तैनात पुलिस बल को अन्य कार्यों (कानून व्यवस्था व अन्य सुरक्षा गश्त आदि) की ड्यूटी पर लगा दिया जाता है, जिससे महत्वपूर्ण विवेचनात्मक कार्य प्रभावित होते हैं।

उन्होंने निर्देश दिया कि एएचटी थाने में कार्यरत पुलिस बल को अन्य कार्यों में न लगाया जाए। वहीं गुमशुदा एवं लापता नाबालिगों के ऐसे मामलों जिसमें चार माह तक बरामदगी नहीं हुई हो, उनको संबंधित जिले के एएचटी थाने में स्थानांतरित किया जाएगा। विवेचना की प्रगति के बारे में प्रत्येक तीन माह में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को रिपोर्ट भेजी जाएगी।

मानव तस्करी से पीड़ित व्यक्तियों के समुचित पुनर्वास, चिकित्सा उपचार, विशेषज्ञ द्वारा काउंसलिंग, निशुल्क विधिक सहायता, आश्रय एवं क्षतिपूर्ति आदि सेवाएं संबंधित विभागों के सहयोग से उपलब्ध कराई जाएंगी।

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