पहली अभियोजन को मंजूरी मिलने के बाद सीबीआई की सुस्त चाल

सीबीआई देश की शीर्ष एजेंसी है। लेकिन बड़े घोटालों में फंसी यूपी की सियासी शख्सियतों के मामले में सीबीआई की हालत जिला पुलिस से भी बदतर होते देर नहीं लगती। सटीक उदाहरण दो दशक से भी ज्यादा पुराने करोड़ों के ताज कारिडोर घोटाले का है।
डेढ़ वर्ष पहले सीबीआई को इस घोटाले में पहली अभियोजन मंजूरी मिलने से आस जगी थी कि पूर्व सीएम व बसपा सुप्रीमो मायावती और पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी समेत हाईप्रोफाइल आरोपियों पर अब सीबीआई का शिकंजा कसेगा। इस बार भी उम्मीदों पर सीबीआई खरी नहीं उतर पाई।

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