यूपी में 5 हजार प्राथमिक विद्यालय बंद करने के फैसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ पीठ के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क़रीब 4 लाख छात्रों के भविष्य पर सवाल

14/7/25 लखनऊ:- उत्तरप्रदेश में 5 हजार प्राथमिक को बंद करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई. याचिका में कहा गया कि सरकार के इस कदम से राज्य में क़रीब 4 लाख छात्रों को निजी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की.

दरअसल उत्तरप्रदेश के 5 हजार से ज्यादा विद्यालयों के विलय को लेकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई ,जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ पीठ के आदेश को चुनौती दी गई है। जिसमे लखनऊ पीठ ने यह कि यह सरकार का नीतिगत मामला है इसमें कुछ नहीं किया जा सकता है.

याचिकाकर्ता के वकील प्रदीप यादव ने कोर्ट से इस संवेदनशील मामले पर शीघ्र सुनवाई करने का आग्रह किया. उत्तर प्रदेश में 50 से कम छात्र संख्या वाले 5 हजार से ज्यादा सरकारी प्राथमिक स्कूलों को बंद करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के निर्णय को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया कि सरकार के इस कदम से राज्य में क़रीब 4 लाख छात्रों को निजी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा

वकील ने कहा की “क्वेस्चन यह है कि यह स्कूल 15 से 20 साल पहले खोले गए थे। ये आज की सरकार एजुकेशन सिस्टम को क्यों ध्वस्त करना चाहती है ,जबकि 20 साल से अब तक आबादी बड़ी ही हैं घटी नहीं है ,और जब आबादी बड़ी है तो बच्चे उन स्कूलों में क्यों नहीं जा रहे हैं यह सरकार को ध्यान देने की जरुरत है। मान लीजिये की 1 स्कूल में एक ही टीचर है तो बच्चे उसमे कैसे पढ़ेंगे तो सरकार सबसे पहले उसे एक्सामिन करे।”
“वहीँ एक तरफ कर्णाटक गवर्नमेंट है जहाँ कुछ स्कूलों में केवल 2 से 3 बच्चे ही पढ़ रहे हैं फिर भी वहां की सरकार उन स्कूलों को चला रही है। क्योंकि आर्टिकल 21A में कहा है की 14 वर्ष तक के बच्चों का यह मौलिक अधिकार है की बच्चों को प्राथमिक एजुकेशन दी जाये। इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया है”.

पिछले हफ्ते सोमवार सात जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को राहत देते हुए 5,000 स्कूलों के मर्जर के फैसले को हरी झंडी दिखा दी थी. कोर्ट ने सरकार के 16 जून 2025 के शासनादेश की अधिसूचना के खिलाफ सीतापुर और पीलीभीत के 51 छात्रों की याचिका खारिज कर दी. अधिसूचना के मुताबिक राज्य के दूरदराज में स्थित जिन सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में 50 या इससे कम छात्र हों उनका आसपास के अन्य विद्यालयों में विलय कर दिया गया. याचिका के मुताबिक सरकार अब विलीन होने वाले विद्यालयों के छात्रों को एकीकृत विद्यालय में दाखिला लेने का दबाव भी बना रही है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में जस्टिस पंकज भाटिया की एकल जज पीठ के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. सीतापुर के 51 बच्चों ने सरकार की स्कूल मर्ज नीति के खिलाफ याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने सरकार के पक्ष से सहमति जताते हुए कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी।

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