आशा ,संगिनी कार्यकर्ताओं ने मांगों को लेकर राजधानी लखनऊ में भरी हुंकार

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06/10/25 लखनऊ:- उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन सम्बद्ध ऐक्टू के आह्वान पर आज इको गार्डन में प्रदेश भर से हजारों आशा ,संगिनी कार्यकर्ताओं ने धरना किया ।

धरना स्थल पर हुई सभा
उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मी देवी ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार 45/46वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को लागू कर कर्मचारी का दर्जा देने ,न्यूनतम वेतन , ईपीएफ , ईएसआई और ग्रेच्युटी की सुविधा देने में कोई रुचि नहीं दिखाई और नहीं वर्षों पूर्व निर्धारित की गई प्रोत्साहन राशियों का ही दशकों बाद भी कोई पुनरीक्षण कर उसकी कोई नई दर लागू की। यहां तक कि दर्जनों कामों की कोई प्रोत्साहन राशियां आज तक दी ही नहीं गई । एक तरह से काम के असीमित बोझ और भूख से जूझती प्रदेश की आशा व संगीनियों के सवालों को सुनने के बजाय उनसे बंधुआ मजदूर की तरह व्यवहार किया जा रहा है।

प्रदेश उपाध्यक्ष निर्मला सिंह ने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2024 में कई राष्ट्रीय अभियानों, समसामयिक व नियमित योगदानो का भुगतान मार्च 2025 तक कर दिए जाने की अपेक्षा थी। किंतु 2024 की बकाया राशि के साथ साथ वर्ष 2025 में प्रोत्साहन राशियों के भुगतान को ही बाधित कर दिया गया। रात दिन स्वास्थ्य अभियानों में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने वाली आशा, संगीनियों को मिलने वाली बेहद शर्मनाक प्रोत्साहन राशियों का भुगतान नहीं किया जा सका।

उषा पटेल ने कहा कि बार बार स्मरण कराए जाने के बाबजूद वर्ष 2019 में राज्य वित्त से घोषित 750 रु की अनुतोष राशि का जुलाई 2019 से 31 दिसंबर 2021 तक का भुगतान आज तक नहीं किया गया। इसी तरह मार्च 2020 में केंद्र सरकार द्वारा केविड योगदान के सापेक्ष घोषित 1000 रु प्रति माह की दर से 24 माह तक महामारी अधिनियम की समयावधि का कोई भुगतान नहीं किया गया।वर्षों से आयुष्मान कार्ड ,गोल्डन कार्ड बनाने में योगदान का भी कोई पारिश्रमिक नहीं अदा किया गया। आभा पहचान पत्र बनाने के सापेक्ष भुगतान की घोषणा अभी तक लागू नहीं की जा सकी। टीवी स्क्रीनिंग , समसामयिक अन्य प्रतिरक्षण कार्यक्रमों में योगदान का भी कोई मूल्यांकन नहीं है।

आशा यादव ने किया कि काम पर आते जाते दुर्घटनाओं में काल कवलित होने वाली या कोल्ड या हीट स्ट्रोक से जान गंवाने वाली आशा कर्मियों के आश्रितों को किसी तरह का कोई मुआवजा नहीं मिलता और नहीं उनके इलाज की कोई योजना है। इस वर्ष भी कई आशा ,संगीनियों की काम पर आते जाते हुई दुर्घटना मौतों की किसी ने जवाब देही नहीं ली।

संगीता ने कहा कि प्रदेश के किसी न किसी केंद्र पर लैंगिक उत्पीड़न की घटनाएं होती रहती हैं । उनकी शिकायतों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, स्वास्थ्य समितियां,सरकार कोई सुनता ही नहीं है। प्रदेश में वर्षों से मांग के बावजूद जेंडर सेंसेसाइजेशन कमेटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरेसमेंट का गठन नहीं किया गया। कागजी कोई कमेटी हो भी तो उसका पता नहीं है।

प्रदेश भर में अवैध उगाही एक रिवाज की तरह है। हजारों शिकायतें करने के बाद भी किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं आज तक नहीं की गई। यही नहीं उनके कृत कार्यों की प्रोत्साहन राशियों के बेनामी खातों में अंतरण करने और उसका नकदीकरण करने की अनेकानेक शिकायतो पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया।

आल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की राष्ट्रीय कमेटी सदस्य अनीता वर्मा ने कहा कि 2 फरवरी 2024 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशालय में हुई वार्ता में वर्ष 2019 से 2023 तक के बकाया के एक बड़े हिस्से के भुगतान, सभी किए गए योगदानों के सापेक्ष प्रोत्साहन राशियों की अदायगी ,बिना प्रोत्साहन राशि वाले कार्यों को नहीं लिए जाने, 2 लाख रु दुर्घटना में मृतकों के परिजनों को बीमा राशि प्रदान करने, आयुष्मान, गोल्डन कार्ड, आभा, संचारी रोग / दस्तक, खसरा आदि जैसे प्रतिरक्षण अभियानों का भुगतान करने , जीएसकैस गठित कर त्वरित कार्यवाही जैसे बिन्दुओं के साथ कुछ अन्य बिंदुओं पर सहमति हुई थी। किंतु उसके क्रियान्वयन पर कुछ भी नहीं किया गया।

संध्या सिंह ने कहा कि वर्ष 2021 में प्रदेश में आशा व आशा संगिनी को मोबाइल देने की शुरुआत हुई थी। इस मोबाइल के सभी के हाथ तक पहुंचते ही डेटा ऑपरेटर का सारा कार्य इनको कुछ घंटों की ट्रेनिंग के साथ सौंप दिया गया। गुणवत्ता विहीन मोबाइल और धीमी गति की इंटरनेट सेवा ने इनके लिए इसके जरिए किए जाने वाले कार्य एक कठिन संकट बन गए। कई बार इस ओर ध्यान आकर्षित करने के बावजूद बेहतर मोबाइल और इंटरनेट की 5 जी सेवा उपलब्ध नहीं कराई जा सकी।

राज्य सचिव अंजू कटियार ने कहा कि आशा संगिनी को मानद स्वयंसेवक और उन्हें सरकारी कर्मचारी के रूप में वर्गीकृत किया जाय तथा न्यूनतम वेतन लागू किये जाने ,आशा, आशा संगिनी को ईपीएफ, ईएसआई का सदस्य बनाए जाने , सेवा निवृत्ति की दशा में आंध्र प्रदेश , हरियाणा राज्य की तरह ग्रेच्युटी ,10 लाख स्वास्थ्य बीमा और 50 लाख का जीवन बीमा सुनिश्चित करने,बेहतर कार्य दशा उपलब्ध कराते हुए कार्य की सीमा तय करने व न्यूनतम वेतन लागू होने तक आशा कर्मियों को आधारभूत मानदेय 21000 / तथा आशा संगिनी को रु 28000 / किया जाए।

जननी सुरक्षा से जुड़े बुनियादी कार्य के अलावा अन्य कार्यों की ( प्रोत्साहन ) उत्प्रेरण राशियों का निर्धारण कर नियमित और पारदर्शी ढंग से भुगतान करने ,आशा संगिनी कर्मियों को भ्रमण यात्रा भत्ता दिया जाए या एकमुश्त उनके आवागमन के लिए वाहन उपलब्ध कराए जाने , आशा व आशा संगिनी को उच्च गुणवत्ता वाले 5 जी मोबाइल और तेज इंटरनेट सेवा प्रदाता कम्पनी के सिम उपलब्ध कराएं जाएं साथ ही उसके जरिए ली जाने वाली सेवाओं के भुगतान की स्पष्टता सुनिश्चित करने , गोल्डन आयुष्मान कार्ड और आभा परिचय पत्र के सृजन में किए गए योगदान का अब का सम्पूर्ण भुगतान एकमुश्त किया करने तथा वर्ष 2018 से 2025 तक विभिन्न दुर्घटनाओं में मृतक आशा ,आशा संगिनी के परिजनों को अनुमन्य 2 लाख की बीमित राशि और 10 लाख रुपए क्षतिपूर्ति के रूप में आश्रितों को भुगतान किए जाने,निजी अस्पतालों का रुख करने वाली गर्भवतियों के साथ किसी अप्रिय स्थिति के उत्पन्न होने पर अकारण आशा कर्मी को अपराधिक मुकदमे में फंसाया जाता है ।

इस स्थिति के लिए निजी अस्पतालों और अभिभावकों को जवाबदेह बनाया जाए और अपराधिक मुकदमे झेल रही निर्दोष आशा कर्मियों के विरुद्ध दर्ज सभी मुकदमे वापस लिए जाने, वर्ष 2019 से लेकर 2024 तक की बकाया सभी प्रोत्साहन राशियां और राज्य प्रदत्त अनुग्रह राशियों का भुगतान तत्काल सुनिश्चित किया जाने,सभी जिलों में लैंगिक उत्पीड़न पर रोक लगाने के लिए जीएसकैश का गठन किया जाए और कमेटियों में आशा ,संगीनियों को प्रतिनिधित्व दिया जाय।

लखीमपुर जनपद के सीएचसी बांकेगंज और बिजुआ के अधीक्षक व बीसीपीएम व जनपद प्रयाग के सीएचसी सोरांव के बीसीपीएम के विरुद्ध तत्काल मर्यादित अपमान जनक घोर आपत्ति जनक व्यवहार के लिए तत्काल कार्यवाही किए जाने ,कई माह के बकाया आधारभूत भुगतान तत्काल किए जाएं तथा 30 अक्टूबर तक वर्षों से लम्बित प्रोत्साहन राशियों की अदायगी की मांगे अगर 1 माह में त्रिपक्षीय वार्ता बुलाकर पूरी नहीं की गई तो बड़े आंदोलन के लिए सरकार को तैयार रहना चाहिए।

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