दिनांक 05 अप्रैल 2025 प्रतापगढ़:– जिला कृषि रक्षा अधिकारी अशोक कुमार ने बताया है कि जे०ई०/ए०ई०एस० रोगों के प्रसार के लिये अन्य कारकों के साथ साथ चूहा/छछुन्दर भी उत्तरदायी है, इसलिये रोगों के रोकथाम के लिये चूहा एवं छछुन्दर का भी प्रभावी नियंत्रण आवश्यक है। चूहां छछुन्दर जैसे जन्तु जापानी इंसफ्लाइटिस सिंड्रोम (ए०ई०एस०) लेप्टोस्पाइरोसिस व स्क्रब टाईफस जैसी अनेक प्रकार जानलेवा बीमारिया के बाहक हो सकते है। ऐसे स्थान जहां घास नमी गंदगी ज्यादा होती है वहाँ इन बीमारियों की संभावना अधिक रहती है। संचारी रोग में मलेरिया, कोरोना, चेचक, हैजा, डेंगू बुखार, सुजाक, हेपेटाइटिस-ए, हेपेटाइटिस-बी, आते है। चूहों से होने वाले तंजम इंपजम मिअमत के बारे मे भी बताया गया, यह बुखार चूहों के काटनें या खरोचनें से होता है। उन्होने बताया है कि चूहे मुख्य रूप से 02 प्रकार के होते है घरेलू एवं खेत के चूहे धरेलू चूहा घर में पाया जाता है, जिसे चुहिया या मूषक कहा जाता है। खेत के चूहो में फील्ड रैट, साफ्ट फर्ड फील्ड रैट एवं फील्ड माउस प्रमुख है।
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