मुफ्त मिलेगा विद्युत चालित चाक और टूल-किट्स,माटीकला के कारीगरों के लिए सुनहरा मौका, 31 मई तक करें ऑनलाइन आवेदन
23/5/25 कौशाम्बी:- उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना के तहत सरकार की माटीकला टूल-किट्स वितरण योजना के तहत परंपरागत कुम्हारों के लिए एक बार फिर सशक्तिकरण का सुनहरा अवसर सामने आया है। इस योजना के अंतर्गत निःशुल्क विद्युत चालित चाक प्रदान किए जाएंगे, जिससे माटीकला के काम में लगे कारीगर अपनी आय और दक्षता को और बेहतर बना सकेंगे।
जिला ग्रामोद्योग अधिकारी अम्बुज कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि यह योजना उत्तर प्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, लखनऊ के तत्वावधान में संचालित उत्तर प्रदेश माटीकला बोर्ड द्वारा क्रियान्वित की जा रही है। इसके तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 में राज्यभर के परंपरागत माटीकला कारीगरों (कुम्हारों) को विद्युत चालित चाक एवं अन्य आवश्यक टूल-किट्स निशुल्क वितरित किए जाएंगे।
आवेदन ऑनलाइन ही मान्य होंगे
इच्छुक पुरुष और महिला कारीगर upmatikalaboard.in वेबसाइट पर जाकर 31 मई 2025 तक आवेदन कर सकते हैं। जिला ग्रामोद्योग अधिकारी ने स्पष्ट किया कि केवल ऑनलाइन आवेदन ही मान्य होंगे, किसी भी प्रकार का ऑफलाइन आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा।
कौन कर सकता है आवेदन
इस योजना के लिए ऐसे पुरुष व महिलाएं पात्र हैं, जो परंपरागत रूप से माटीकला से जुड़े हुए हैं और कुम्हार समुदाय से आते हैं। विद्युत चालित चाक मिलने से उन्हें मिट्टी के बर्तन, दीये, मूर्तियां व अन्य हस्तशिल्प उत्पाद अधिक कुशलता व कम समय में बनाने में सुविधा होगी। यह आधुनिक टूल्स उनके पारंपरिक हुनर को नई ऊर्जा देगा।
मिशन आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
यह योजना राज्य सरकार के ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश’ अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों को तकनीकी सहायता देकर उनकी आय में वृद्धि करना है। विद्युत चालित चाक मिलने से न केवल उत्पादन में तेजी आएगी, बल्कि कारीगर आधुनिक बाजार की मांगों के अनुरूप उत्पाद तैयार कर सकेंगे।
योजना से संबंधित विस्तृत जानकारी हेतु इच्छुक आवेदक जिला ग्रामोद्योग कार्यालय, कक्ष संख्या-35, विकास भवन, मंझनपुर में व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, मोबाइल नंबर 9580503177 पर भी संपर्क कर योजना से संबंधित मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सकता है।
जिला ग्रामोद्योग अधिकारी ने जनपद के सभी पात्र कुम्हार कारीगरों से अपील की है कि वे इस योजना का लाभ जरूर उठाएं और अंतिम तिथि से पूर्व अपना ऑनलाइन आवेदन सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा, “यह योजना सिर्फ एक औजार देने की नहीं, बल्कि पारंपरिक शिल्प को आधुनिक संसाधनों से जोड़कर उसे आर्थिक शक्ति में बदलने की है।”
विद्युत चालित चाक जैसी आधुनिक सुविधा पारंपरिक कारीगरों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। इससे जहां उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, वहीं उनका आजीविका स्रोत और सशक्त होगा। सरकार द्वारा चलाए जा रहे इस प्रयास से एक ओर पारंपरिक शिल्प का संरक्षण होगा, वहीं दूसरी ओर नई पीढ़ी को इस व्यवसाय की ओर आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी।