शिक्षकों कर्मचारियों की सरकार से मांग ,समस्या हल ना होने पर बड़े आंदोलन करने का दिया संकेत

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28/7/25 लखनऊ:- इप्सेफ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 23 अगस्त को नई दिल्ली में आहूत की गई है जिसमें आंदोलन की रूपरेखा घोषित की जाएगी।

इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी मिश्रा एवं महासचिव प्रेमचंद ने संवाददाताओं को बताया है कि मा प्रधानमंत्री जी एवं एनडीए के मुख्यमंत्रियों को कई बार आंदोलन के माध्यम से ज्ञापन पत्र भेजकर आग्रह किया गया था कि स्वयं एवं राज्यों के मुख्यमंत्री कर्मचारी समस्याओं से बातचीत करके उनकी पीड़ा पर सार्थक निर्णय करें परंतु खेद है कि प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्रीगण कर्मचारियों की समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है जिससे आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है।

उप महासचिव अतुल मिश्रा ने बताया कि “उत्तर प्रदेश की हालत और खराब हैं। बार-बार आग्रह के बावजूद मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव ने एक बार बैठक करके समस्या का निराकरण नहीं कराया। वर्तमान मुख्य सचिव के साथ एक बार बैठक हुई थी उसका कार्यवृत्त ही जारी नहीं किया गया।”

“प्रमुख सचिव और मुख्य सचिव के द्वारा कर्मचारी समस्याओं पर बैठक नहीं की गई है यहां तक की प्रमुख सचिव कार्मिक द्वारा कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद एवं अन्य विभागीय संगठनों के अध्यक्ष/ महामंत्री के सचिवालय प्रवेश पत्र भी नहीं बनाई जा रहे हैं जिससे शासन एवं कर्मचारी के बीच संवाद शून्य है।”

वीपी मिश्रा ने बताया कि “निम्न प्रमुख मांगों पर यदि निर्णय नहीं किया गया तो 23 अगस्त को आंदोलन की घोषणा की जाएगी-

1-पुरानी पेंशन बहाली।
2-आठवीं वेतन आयोग का गठन करके वेतन भत्तों पर निर्णय किया जाना।
3-आउटसोर्सिंग ठेका कर्मचारी को विनियमित करण की नीति बनाने।
4- सरकारी संस्थाओं का निजीकरण न किया जाए विभागों में रिक्त पदों पर तत्काल भर्तियां की जाए।”

मिश्रा ने सरकार को आग्रह किया है कि यदि देश भर के करोड़ों कर्मचारी परिवार शिक्षक बेरोजगारी महंगाई पर सार्थक निर्णय नहीं किया गया तो 23 अगस्त को बड़े आंदोलन की घोषणा होगी। कर्मचारियों की नाराजगी का भावी चुनावों में सत्ताधारी दल को भारी नुकसान होगा जिसका उत्तरदायित्व सरकार का होगा।

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