तुष्टिकरण की राजनीती से जलता पश्चिम बंगाल ,क्या एक नया बांग्लादेश बनने की साज़िश ?

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18/3/25:- पश्चिम बंगाल एक बार फिर जल रहा है, लेकिन ममता सरकार चुप हैं, और सेक्युलर राजनीति ने आंखें मूंद रखी हैं।

वक्फ बोर्ड से जुड़ा बिल संसद में पारित होते ही पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं को निशाना बनाया जा रहा है। हाल ही की घटनाओं में कुछ इलाकों में हिंदू परिवारों के घरों को आग के हवाले कर दिया गया। मासूम बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं भय के साए में जीने को मजबूर हैं, पलायन कर रहे है। यह सिर्फ हिन्दुओं पर हमला नहीं है, बल्कि यह देश के संविधान, कानून और लोकतंत्र की आत्मा पर चोट है।

विचित्र बात यह है कि जिस राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अक्सर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के नाम पर बयान देती हैं, वही मुख्यमंत्री अब खामोश हैं। विपक्ष, राहुल गाँधी, अखिलेश यादव, केजरीवाल जो हर छोटी बात पर केंद्र को कटघरे में खड़ा करता है, अब मौन है। ऐसा लगता है जैसे हिंदुओं की पीड़ा को सुनने वाला कोई नहीं है।ऐसे हालातों में यह स्पष्ट हो गया है कि पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है।

वहां की राज्य सरकार जनता के जान-माल की रक्षा करने में असफल हो चुकी है। इसलिए हम भारत सरकार से मांग करते हैं कि पश्चिम बंगाल में तत्काल राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए, ताकि निर्दोष हिन्दुओं की रक्षा की जा सके और दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिल सके।

साथ ही, अब समय आ गया है कि हर हिंदू भाई-बहन जागरूक और संगठित हो। सिर्फ भरोसा करने से अधिकार नहीं मिलते, कभी-कभी अधिकारों के लिए खुद खड़े होना पड़ता है। हमें एकजुट होकर न केवल अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठानी है, बल्कि अपने धर्म, संस्कृति और अस्तित्व की रक्षा के लिए तैयार भी रहना है।

अब हमें सोचना नहीं है, अब हमें संगठित होना है। क्योंकि अगर आज हम चुप रहे, तो आने वाला कल हमसे सवाल जरूर करेगा।

आखिर कौन सी ऐसी मजबूरी है जो लाखों की तादात में हिन्दू पलायन और नर संहार के बाद भी केंद्र सरकार वहां पर राष्ट्रपति शासन नहीं लगा रही ?

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