राहुल गाँधी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार, कोर्ट ने कहा :- अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब “भारतीय सेना को बदनाम करना नहीं

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04/6/25 UP:- कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सैनिकों के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की फटकार का सामना करना पड़ा. हाईकोर्ट ने 2022 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी के संबंध में लखनऊ की एक अदालत द्वारा जारी समन के खिलाफ गांधी द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की.

दोगली बयान बाजी नहीं चलेगी

अदालत ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन यह स्वतंत्रता उचित प्रतिबंधों के अधीन है और इसमें भारतीय सेना के लिए अपमानजनक बयान देने की स्वतंत्रता शामिल नहीं है.

दरअसल, राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था, क्योंकि उन्होंने कहा था कि चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सैनिकों की पिटाई कर रहे हैं. यह टिप्पणी 2022 में राजस्थान में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की गई थी.

राहुल गांधी ने कहा था, “लोग भारत जोड़ो यात्रा, अशोक गहलोत और सचिन पायलट और न जाने किस-किस के बारे में पूछेंगे. लेकिन वे चीन द्वारा 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने, 20 भारतीय सैनिकों को मारने और अरुणाचल प्रदेश में हमारे सैनिकों की पिटाई करने के बारे में एक भी सवाल नहीं पूछेंगे. लेकिन भारतीय मीडिया उनसे इस बारे में एक भी सवाल नहीं पूछता. क्या यह सच नहीं है? देश यह सब देख रहा है. ऐसा दिखावा न करें कि लोगों को नहीं पता.

इसके बाद उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था और एक ट्रायल कोर्ट ने उन्हें समन जारी किया था. इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कार्यवाही और समन को रद्द करने की मांग की.

राहुल गांधी ने बहुत ही अपमानजनक तरीके से कहा

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि गांधी ने बहुत ही अपमानजनक तरीके से बार-बार कहा कि चीनी सेना अरुणाचल प्रदेश में हमारे सैनिकों की पिटाई’ कर रही है और भारतीय प्रेस इस संबंध में कोई सवाल नहीं पूछेगा.

इसके बाद हाईकोर्ट में राहुल गांधी ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि शिकायतकर्ता भारतीय सेना का अधिकारी नहीं है और इसलिए वह पीड़ित व्यक्ति नहीं है. इस तर्क को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 199(1) के तहत, किसी अपराध के प्रत्यक्ष पीड़ित के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को भी पीड़ित व्यक्ति माना जा सकता है, अगर वह अपराध से प्रभावित है.

इस मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि मानहानि का मुकदमा दर्ज कराने वाला अपराध से पीड़ित व्यक्ति है, क्योंकि वह सीमा सड़क संगठन का सेवानिवृत्त निदेशक हैं, जो कर्नल के समकक्ष पद है.

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